पथरी का इलाज उसके आकार पर निर्भर होता है। अगर किडनी स्टोन छोटा होता है। लगभग 5 से 6mm का होता है। तो ऐसी स्थिति में 2 से 3 लीटर पानी अगर पिया जाए। दिन भर में तो स्टोन पेशाब के साथ बाहर निकल जाते हैं।
शल्य चिकित्सा(surgery) की जरूरत तब होती है जब स्टोन का आकार अगर बड़ा हो और वह खुद से पेशाब के साथ बाहर नहीं निकल सकता है। तथा मूत्रवाहिनी (ureter) में पथरी फस गई हो जिसकी वजह से किडनी में सूजन आना शुरू हो जाए।
इसके लिए PCNL,URS, ESWL क्रिया का इस्तेमाल किया जाता है।
अगर स्टोन का आकार 2cm से बड़ा होता हैं, तो इसे तोड़ने के लिए PCNL का प्रयोग किया जाता है। इस क्रिया में मरीज के पेट पर एक छोटा सा कट दिया जाता है। उससे एक छोटा सा दूरबीन छेद में डाला जाता है जिससे डॉक्टर को स्टोन की लोकेशन का पता चलता है उसके बाद डॉक्टर उस स्टोनको छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ कर बाहर निकाल लेते हैं।
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The treatment of stone depends on its size. If the kidney stone is small. About 5 to 6 mm. So in such a situation, if you drink 2 to 3 liters of water. Throughout the day, the stones come out with urine.
Surgery is needed when the size of the stone is large and it cannot pass out on its own with urine. And the stones have got stuck in the ureter, due to which the swelling starts in the kidney.
For this, the verb PCNL, URS, ESWL are used.
If the size of the stone is more than 2cm, PCNL is used to break it. In this procedure a small cut is made on the patient’s abdomen. A small telescope is inserted into the hole from which the doctor knows the location of the stone, after which the doctor breaks that stone into small pieces and takes it out.
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