हमारे शरीर में दो किडनी होती है एक लेफ्ट साइड में होती है एक राइट साइड में होती है इसका काम यह होता है जो बॉडी के वेस्ट प्रोडक्ट होते हैं उसको यूरिन के द्वारा बाहर करती है और हमारे शरीर में वाटर बैलेंस और इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने का काम करते हैं किडनी में बहुत छोटी छोटी कोशिका होती है इनमें से कोई एक अनवरत रूप से ग्रोथ करने लग जाती है और यह जल्दी जल्दी जल्दी अगर डिवाइड करने लग जाती है तो यह धीरे-धीरे एक ट्यूमर का आकार ले लेती है तो हम इसे किडनी मास या किडनी गठान कहते हैं
किडनी की गठन कितने प्रकार की होती है
जो किडनी की गठान होती है यह गठान दो तरह की होती है होती है एक बिनाइन (benign)गठान होती है और एक malignant गठान होती है बिनाईन गठान एक ऐसी गठान नहीं है जो सोनोग्राफी में आती तो है पर उसके फैलने की आशंका बहुत कम होती है मतलब उससे आपके डेथ के चांसेस और कैंसर के फैलने के चांसेस ना के बराबर होते हैं इन्हें हम बिनाइन गठान कहते हैं ऐसी गठान जो फैल सकती है उनको malignant गठान कहते हैं अगर
किडनी गठान के क्या-क्या सिम्टम्स होते हैं
आमतौर पर जो छोटी घटाने रहती है जिसे 1 सेंटीमीटर 2 सेंटीमीटर या तीन चार सेंटीमीटर यह कोई भी सिम्टम्स प्रोड्यूस नहीं करती मतलब आपको कोई भी तकलीफ नहीं होती है आप किसी और वजह से सोनोग्राफी करवाने जाते हैं उसमें यह घटाने डिटेक्ट होती है और अगर इस टाइप से गठान डिटेक्ट होती है तो यूजुअली यह बहुत छोटी घटाने होती है तो इससे इनिशियल स्टेज में गठान को निकालकर उसका ट्रीटमेंट किया जाता है अगर यह घटान ज्यादा बड़ी होती है
कमर में दर्द होता है
पेशाब में खून आ सकता है
अगर यह गठन और ज्यादा फैल जाए अगर हड्डियों में चली जाए तो हड्डियों का कैंसर होता है
और अगर फेफड़ों में चली जाए तो सांस में दिक्कत हो सकती है और खांसी में खून आना यह प्रॉब्लम हो सकती है और ब्रेन में मेटास्टैसिस हो जाए तो feets आ सकते हैं यह मेन सिम्टम्स होते हैं
इसके रिस्क फैक्टर क्या-क्या हो सकते हैं
सबसे पहला और इंपॉर्टेंट और रिस्क फैक्टर है हेवी स्मोकिंग ऐसा देखा गया है कि जो हैवी स्मोकर्स होते हैं उनके अंदर आम आदमी की तुलना में गठन बनने के चांसेस 2 गुना ज्यादा होते हैं
दूसरा रिस्क फैक्टर है एक ऐसा देखा गया है कि जैसे-जैसे एज बढ़ती जाती है किडनी कैंसर की संभावना बढ़ती जाती है अर्ली एज में किडनी कैंसर का खतरा कम होता है
तीसरा इंपॉर्टेंट रिस्क फैक्टर है हेरेडिटरी ऐसा देखा गया है कि आपकी फैमिली में ऑलरेडी किसी को कैंसर की हिस्ट्री है तो आपको किडनी कैंसर होने के चांसेस थोड़ी ज्यादा होते हैं
चौथा रिस्क फैक्टर यह है कि आप किस रेस के हैं यह देखा गया है कि जो ब्लैक अफ्रीकांस होते हैं उनमें कैंसर होने के चांस ज्यादा होते हैं पांचवा रिस्क फैक्टर यह है जिन्हें क्रॉनिक किडनी डिजीज हो या जो डायलिसिस पर हो या ऐसे पेशेंट उनमें किडनी कैसे संभावना ज्यादा होती है
कुछ जेनेटिक डिसीसिस होती हैं जैसे ट्यूबरस स्क्लेरोसिस बीएचएल डिसीज इसमें और भी शरीर में अन्य प्रकार के ट्यूमर हो सकते हैं उनमें कैंसर बनने की संभावना ज्यादा रहती है नेक्स्ट रिस्क फैक्टर होता है ओबेसिटी जो मोटे लोग ऐसा देखा गया है उनमें मोटे लोगों में किडनी कैंसर होने के रिस्क ज्यादा होते हैं
नेक्स्ट रिस्क फैक्टर होता है जैसे कुछ प्रकार के खनिज मटेरियल से आपको कोई एक्स्पोज़र होता है जैसे एस्बेस्टस,आर्सेनिक इस टाइप के अगर इंडस्ट्रियल एक्स्पोज़र है तो किडनी कैंसर होने के रिस्क ज्यादा होते हैं
रिस्क फैक्टर को यूजुअली हम इस प्रकार से समझ सकते हैं कि कुछ जो रिस्क फैक्टर होते हैं वह नॉन मॉडिफाईबल होते हैं जिससे एक जिसे मॉडिफाई नहीं कर सकते और कुछ रिस्पेक्टर होते हैं वह मोडिफिएबल होते हैं जिसे आप चेंज कर सकते हैं जैसे स्मोकिंग अगर आप स्मोकिंग बंद कर देते हैं तो हर प्रकार के कैंसर का रिस्क कम हो जाता है अगर जेनेटिक फैक्टर है तो वह भी नॉन मॉडिफाई बल में आता है केस में रिस्क को कम नहीं किया